सरकारी मदद के बाद भी आश्वस्त नहीं मजदूर

आज भी सैकड़ों मजदूर मुंबई के बांद्रा इलाके में जुट गए और घर भेजने की मांग करने लगे



नई दिल्ली
एक तरफ देश में लॉकडाउन की मियाद बढ़ाकर 3 मई तक किए जाने की चौतरफा प्रशंसा हो रही है तो दूसरी तरफ इस ऐलान ने मुंबई में फंसे मजूदरों में बेचैनी बढ़ा दी। मंगलवार सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान किया और शाम होते-होते बांद्रा स्टेशन के पास सैकड़ों मजदूरों की भीड़ उमड़ पड़ी। ये सभी मजदूर स्टेशन के पास जामा मस्जिद के ईर्द-गिर्द इकट्ठा हो गए।


हैरत की बात है कि यह स्थिति तब पैदा हुई जब थोड़ी देर पहले ही स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ कोरोना पर डेली ब्रीफिंग के दौरान गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने 80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त अनाज का ऐलान किया था। इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने भी लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा के वक्त ही गरीब-मजदूर तबके के लोगों की परेशानियां दूर करने का भी आश्वासन दिया था। पीएम ने यह भी कहा था कि 20 अप्रैल को स्थिति की समीक्षा की जाएगी और जिन इलाकों में कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं होगा या बेहद कम होगा, वहां थोड़ी ढील दिए जाने का फैसला लिया जा सकता है।


महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत में दावा किया कि ये सभी मजदूर अपने-अपने घर लौटने की जिद पर अड़े हैं। मंत्री के मुताबिक, लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा से मजदूरों का सब्र टूट गया और वो परेशानी बढ़ने की आशंका में घर लौटने की जिद करने लगे। चिंता की बात यह है कि महाराष्ट्र कोरोना संक्रमित मरीजों के मामले में देश में नंबर वन है। मुंबई कोविड-19 मरीजों का हॉटस्पॉट है। ऐसे में इतनी भीड़ का उमड़ना बहुत घातक साबित हो सकता है।


बहरहाल, इससे पहले 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के बाद दिल्ली में भी मजदूरों का भी ऐसा ही हुजूम उमड़ा था। तब हजारों मजदूरों ने पैदल ही अलग-अलग राज्यों में अपने-अपने घरों का रुख कर लिया था। उनके अंदर भी यही असुरक्षा की भावना थी कि आखिर जब कामकाज बंद हो जाएगा तो उनका भरण-पोषण कैसे हो सकेगा। उन्हें मकान किराया, राशन खर्च आदि की चिंता सता रही थी और यह चिंता अब भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई हुई है।